इक लड़की थी दीवानी सी
कुछ पगली सी अनजानी सी
दुनिया से बेगानी सी
खवाबो में वो रहती थी
सपनो में वो जीती थी
लहरों पे वो चलती थी
रेत के घर बनाती थी
अरमानो के साये, उसके दिल पे छाए रहते थे
गहरे गहरे नैना उसके, कुछ न कुछ तो कहते थे
जीत भी उसकी हार भी उसकी
कुछ खोती थी कुछ पाती थी
खुद से ही तो लडती थी
न सुनती थी बस कहती थी
दीवानों सी फिरती थी
यों जीती थी यों मरती थी
रात के तारों से अपने, दामन को वो सजाती थी
चाँद को तो वो, माथे की बिंदिया बनाती थी
इक लड़की थी दीवानी सी...
:D... wow.. soft and beautiful... and happy as ever... WOW! loved it like anything.
ReplyDeletewow!! I am speechless!! Lovely and so romantic!
ReplyDeleteWOWOW now that is so beautiful..
ReplyDeleteExcellent Loved it a lot
Bikram's
Loveeed It.So beautiful just like you...
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